भूमिका
``तंत्र विज्ञान है; तंत्र दर्शन नहीं है. दर्शन को समझना आसान है; क्यूंकि उसके लिए सिर्फ मस्तिष्क की जरूरत पड़ती है. यदि तुम भाषा जानते हो, यदि तुम प्रत्यय समझते हो तो तुम दर्शन समझ सकते हो. उसके लिए तुम्हें बदलने की, संपरिवर्तित होने की कोई जरूरत नहीं है. तुम जैसे हो वैसे ही बने रहकर दर्शन को समझ सकते हो. लेकिन वैसे ही बने रहकर तंत्र को नहीं समझ सकते हो. तंत्र को समझने के लिए तुम्हारे बदलने की जरूरत रहेगी; बदलाहट की ही नहीं, आमूल बदलाहट की जरूरत होगी. जब तक तुम बिलकुल भिन्न नहीं हो जाते हो, तब तक तंत्र को नहीं समझा जा सकता. क्यूंकि तंत्र कोई बौद्धिक प्रस्तावना नहीं है; वह एक अनुभव है. और जब तक तुम अनुभव के प्रति संवेदनशील, तैयार, खुले हुए नहीं होते, तब तक यह अनुभव तुम्हारे पास आने को नहीं है.
देवी पूंछती हैं : प्रभो, आपका सत्य क्या है ? शिव इस प्रश्न का उत्तर न देकर उसके बदले में एक विधि देते हैं. अगर देवी इस विधि के प्रयोग से गुजर जाएँ तो वे उत्तर पा जाएँगी. वे कहते हैं : यह करो और तुम जान जाओगी.
ये एक सौ बारह विधियाँ सभी लोगों के काम आ सकती हैं. हो सकता है, कोई विशेष उपाय तुमको ठीक न पड़े. इसलिए तो शिव अनेक उपाय बताये चले जाते हैं. कोई एक विधि चुन लो जो तुमको जंच जाये.
ये एक सौ बारह विधियाँ तुम्हारे लिए चमत्कारिक अनुभव बन सकती हैं, या तुम महज उन्हें सुन सकते हो. यह तुम पर निर्भर है, मैं सभी संभव पहलुओं से प्रत्येक विधि की व्याख्या करूँगा. अगर तुम उसके साथ कुछ निकटता अनुभव करो तो तीन दिनों तक उससे खेलो और फिर छोड़ दो. अगर वह तुम्हें जंचे, तुम्हारे भीतर कोई तार बजा दे तो फिर तीन महीने उसके साथ प्रयोग करो.
शिव यहाँ एक सौ बारह विधियाँ प्रस्तावित कर रहे हैं. इसमें सभी संभव विधियाँ सम्मिलित हैं. यदि इनमे से कोई भी तुम्हारे भीतर नहीं 'जंचती' है, कोई भी तुम्हें यह भाव नहीं देती है कि वह तुम्हारे लिए है तो फिर कोई भी विधि तुम्हारे लिए नहीं बची. इसे ध्यान में रखो. तब आध्यात्म को भूल जाओ और खुश रहो. वह तब तुम्हारे लिए नहीं है.
लेकिन यह एक सौ बारह विधियाँ तो समस्त मानव - जाति के लिए हैं. और वे उन सभी युगों के लिए हैं जो गुजर गए हैं और आने वाले हैं. और किसी भी युग में एक भी ऐसा आदमी नहीं हुआ और न होने वाला ही है, जो कह सके कि ये सभी एक सौ बारह विधियाँ मेरे लिए व्यर्थ हैं. असंम्भव ! यह असंम्भव है !
प्रत्येक ढंग के चित्त के लिए यहाँ गुंजाइश है. तंत्र में प्रत्येक किस्म के चित्त के लिए विधि है. कई विधियाँ है जिनके उपयुक्त मनुष्य अभी उपलब्ध नहीं हैं, वे भविष्य के लिए हैं. और ऐसी विधियाँ भी हैं जिनके उपयुक्त लोग रहे नहीं, वे अतीत के लिए हैं. लेकिन डर मत जाना. अनेक विधियाँ हैं जो तुम्हारे लिए ही हैं.
*तंत्र-सूत्र ( ओशो )*
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