विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 25



("जैसे ही कुछ करने की वृत्ति हो , रुक जाओ .")
इसका प्रयोग करो . इस संबंध में तीन बातें स्मरण रखो . एक , प्रयोग तभी करो जब वृत्ति वास्तविक हो . दो , रुकने के संबंध में विचार मत करो , बस रुक जाओ . तीन , प्रतीक्षा करो . जब तुम ठहर गए तो सांस न चले , कोई गति न हो-- बस प्रतीक्षा करो कि क्या होता है . कोई चेष्टा न हो . जब मैं कहता हूँ कि प्रतीक्षा करो तो उससे मेरा मतलब है कि आंतरिक केन्द्र के संबंध में विचार करने की चेष्टा मत करो . यदि चेष्टा की तो फिर चूक जाओगे . केन्द्र की मत सोचो . मत सोचो कि अब झलक आने को है . कुछ भी मत सोचो . मात्र प्रतीक्षा करो . वृत्ति को , ऊर्जा को स्वयं गति करने दो . अगर तुम केन्द्र और आत्मा और ब्रह्म के बारे में विचार करने लगे तो ऊर्जा उसी विचारणा में लग जायेगी . तम बहुत आसानी से आंतरिक ऊर्जा को गंवा सकते हो . एक विचार भी उसे गति देने के लिए काफी है . तब तुम सोचते चले जाओगे . जब मैं कहता हूँ कि ठहर जाओ तो उसका मतलब है पूरी तरह , समग्ररूपेण ठहर जाओ . कुछ भी गति न हो-- मानो कि सारा जगत ठहर गया है ; कोई गति नहीं है ; केवल तुम हो . उस केवल अस्तित्व में अचानक केन्द्र का विस्फोट होता है .


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