( " अपने सामने किसी विषय को अनुभव करो . इस एक को छोड़कर अन्य सभी विषयों की अनुपस्थिति को अनुभव करो . फिर विषय-भाव और अनुपस्थिति-भाव को भी छोड़कर आत्मोपलब्ध होओ ." )
कोई भी विषय , उदाहरण के लिए एक गुलाब का फूल है -- कोई भी चीज चलेगी . देखने से काम नहीं चलेगा , अनुभव करना है . तुम गुलाब के फूल को देखते हो , लेकिन उससे तुम्हारा हृदय आंदोलित नहीं होता है . तब तुम गुलाब को अनुभव नहीं करते हो . अन्यथा तुम रोते और चीखते , अन्यथा तुम हंसते और नाचते . तुम गुलाब को महसूस नहीं कर रहे हो , सिर्फ गुलाब को देख रहे हो . गुलाब के फूल के साथ रहो . उसे देखो और फिर उसे महसूस करो , उसे अनुभव करो . अनुभव करने के लिए क्या करना है ? उसे स्पर्श करो , उसे सूंघो ; उसे गहरा शारीरिक अनुभव बनने दो . पहले अपनी आँखों को बंद करो और गुलाब को अपने पूरे चेहरे को छूने दो . इस स्पर्श को महसूस करो . फिर गुलाब को आंख से स्पर्श करो . फिर गुलाब को नाक से सूघों . फिर गुलाब के पास हृदय को ले जाओ और उसके साथ मौन हो जाओ . गुलाब को अपना भाव अर्पित करो . सब कुछ भूल जाओ . सारी दुनियां को भूल जाओ . और ऐसे गुलाब के साथ समग्रतः रहो . यदि तुम्हारा मन अन्य चीजों के संबंध में सोच रहा है तो गुलाब का अनुभव गहरा नहीं जायेगा . सभी अन्य गुलाबों को भूल जाओ . सभी अन्य लोगों को भूल जाओ . सब कुछ को भूल जाओ . केवल इस गुलाब को रहने दो . यही गुलाब , हां यही गुलाब . सब कुछ को भूल जाओ और इस गुलाब को तुम्हें आच्छादित कर लेने दो . समझो कि तुम इस गुलाब में डूब गए हो .
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